विश्व पृथ्वी दिवस 2025

विश्व पृथ्वी दिवस 2025 को 22 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी की रक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना है। 2025 की थीम Our Power, Our Planet है, जो हम सभी से पर्यावरण संबंधी समस्याओं से अपने ग्रह की रक्षा करने की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया गया है । यह दिन हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी हमारी एकमात्र जीवनदायिनी ग्रह है और इसके संरक्षण के लिए हमें वृक्षारोपण, जल-संरक्षण, स्वच्छता और सतत विकास जैसे उपायों को अपनाना चाहिए। छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। आओ, हम सब मिलकर पृथ्वी को एक बेहतर स्थान बनाएं।

विश्व पृथ्वी दिवस 2025

1. जामुन (Jamun)
वैज्ञानिक नाम: Syzygium cumini
मूल स्थान: भारत, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्वी एशिया
प्रकार: फलदार वृक्ष

विशेषताएं:
जामुन एक मध्यम से बड़े आकार का पेड़ होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 30-35 मीटर तक हो सकती है। इसके फल गहरे बैंगनी या काले रंग के होते हैं जो आकार में अंडाकार होते हैं और इनमें एक बीज होता है। जामुन का स्वाद मीठा, खट्टा और कसैला होता है। इसकी पत्तियाँ चमकदार और गहरे हरे रंग की होती हैं।

उपयोगिता:

  • जामुन ताजे फल के रूप में खाया जाता है, साथ ही इसका उपयोग जूस, सिरका, अचार और जैली बनाने में होता है।
  • आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इसका भरपूर उपयोग होता है।
  • जामुन की लकड़ी मजबूत होती है और इसका उपयोग फर्नीचर व कृषि उपकरणों में भी होता है।
  • जामुन के बीज, छाल और पत्तियाँ औषधीय रूप से उपयोगी होती हैं।

औषधीय गुण:

  • जामुन मधुमेह (डायबिटीज) में अत्यंत लाभकारी है। इसके बीज का चूर्ण ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है।
  • यह पाचन में सहायक होता है और गैस, अपच, दस्त, और अजीर्ण में उपयोगी है।
  • जामुन खून को साफ करता है और त्वचा रोगों में राहत देता है।
  • यह पेट के कीड़ों को नष्ट करता है और यकृत (लिवर) के लिए भी फायदेमंद है।
  • इसके सेवन से दाँत और मसूड़ों को मजबूती मिलती है।

2. तुलसी (Holy Basil)
वैज्ञानिक नाम: Ocimum tenuiflorum या Ocimum sanctum
मूल स्थान: भारत
प्रकार: औषधीय एवं धार्मिक पौधा

विशेषताएं:
तुलसी एक सुगंधित झाड़ीदार पौधा होता है जिसकी ऊँचाई लगभग 30 से 60 सेमी होती है। इसकी पत्तियाँ गहरे हरे या बैंगनी रंग की होती हैं और इनमें विशिष्ट सुगंध होती है। तुलसी के फूल छोटे-छोटे और बैंगनी रंग के होते हैं। इसे “हिंदू धर्म में माता तुलसी” के रूप में पूजा जाता है।

उपयोगिता:

  • तुलसी का उपयोग धार्मिक कार्यों में होता है, विशेषकर पूजा में।
  • इसे घरेलू चिकित्सा में “रामबाण” की तरह प्रयोग किया जाता है।
  • तुलसी की चाय, काढ़ा, अर्क और सूखे पत्तों का उपयोग सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार आदि में होता है।
  • इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों और हर्बल उत्पादों में भी होता है।

औषधीय गुण:

  • तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है और जीवाणु-विषाणुओं से लड़ती है।
  • यह सर्दी, खांसी, बुखार, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में अत्यंत प्रभावी है।
  • तुलसी का नियमित सेवन तनाव को कम करता है और मानसिक शांति देता है।
  • यह एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है।
  • तुलसी रक्त को शुद्ध करती है और त्वचा रोगों में लाभकारी है।


3. आम (Mango)
वैज्ञानिक नाम: Mangifera indica
मूल स्थान: भारत
प्रकार: फलदार वृक्ष (वृक्षीय फल)

विशेषताएं:
आम एक उष्णकटिबंधीय फल है जो सदियों से भारत में उगाया जाता है। इसका पेड़ 10–40 फीट ऊँचा होता है और इसकी पत्तियाँ लम्बी, चमकदार और गहरे हरे रंग की होती हैं। आम की सैकड़ों किस्में होती हैं जैसे दशहरी, अल्फांसो, लंगड़ा, चौसा आदि। इसके फल गूदेदार, रसदार, सुगंधित और मीठे होते हैं।

उपयोगिता:
आम को “फलों का राजा” कहा जाता है। इसे ताजा खाया जाता है, आम का जूस, अचार, जैम, स्क्वैश, आइसक्रीम, केक आदि में उपयोग होता है। कच्चे आम से ‘आम पन्ना’, ‘चटनी’, ‘अचार’ आदि बनाए जाते हैं।

औषधीय गुण:

  • आम में विटामिन A, C, और E भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
  • आम के पत्ते मधुमेह में उपयोगी होते हैं।
  • कच्चा आम लू से बचाव करता है और पाचन में सहायक होता है।
  • इसके गुठली का चूर्ण दस्त, पेचिश और बवासीर में लाभकारी है।
  • आम के सेवन से आँखों की रोशनी बढ़ती है और त्वचा में निखार आता है।

4.अमरूद (Guava)
वैज्ञानिक नाम: Psidium guajava
मूल स्थान: मध्य अमेरिका (विशेषकर मैक्सिको और पेरू)
प्रकार: फलदार पौधा (झाड़ी या छोटा वृक्ष)

विशेषताएं:
अमरूद एक बहुवर्षीय झाड़ीदार या छोटा पेड़ होता है जो लगभग 3-10 मीटर तक ऊँचा होता है। इसके पत्ते मोटे और झुर्रियों वाले होते हैं। अमरूद के फल आमतौर पर गोल या अंडाकार होते हैं जिनका छिलका हरा या पीला तथा गूदा सफेद, गुलाबी या लाल रंग का होता है। इसकी खुशबू तीव्र और स्वाद हल्का मीठा से लेकर तीखा तक हो सकता है।

उपयोगिता:

  • अमरूद कच्चा और पका दोनों अवस्था में खाया जाता है।
  • इससे जैम, जेली, स्क्वैश और जूस भी बनाए जाते हैं।
  • अमरूद का उपयोग सलाद, चटनी और स्नैक्स में भी होता है।
  • यह कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाला फल है, इसलिए व्यावसायिक दृष्टि से भी लाभकारी है।

औषधीय गुण:

  • अमरूद में विटामिन C बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  • यह पाचन शक्ति को सुधारता है और कब्ज, गैस, एसिडिटी आदि में लाभकारी है।
  • इसके पत्तों का काढ़ा मुंह के छाले, दाँत-दर्द, गले की खराश और मधुमेह में लाभकारी है।
  • अमरूद ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक है।
  • यह त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।

5. नींबू (Lemon)
वैज्ञानिक नाम: Citrus limon
मूल स्थान: दक्षिण-पूर्वी एशिया (भारत और म्यांमार क्षेत्र)
प्रकार: खट्टे फल (झाड़ी या छोटा वृक्ष)

विशेषताएं:
नींबू एक छोटे आकार का, गोल या अंडाकार फल है, जिसकी छाल पीली और पतली होती है। इसका रस खट्टा और ताजगी देने वाला होता है। नींबू के पेड़ झाड़ीनुमा होते हैं, जिनकी ऊँचाई लगभग 3–6 मीटर होती है। इसकी पत्तियाँ गाढ़ी हरी और सुगंधित होती हैं। नींबू गर्मियों में अधिक लोकप्रिय होता है।

उपयोगिता:

  • नींबू का प्रयोग भोजन, सलाद, पेय पदार्थों, अचार आदि में होता है।
  • इससे नींबू पानी, शिकंजी, स्क्वैश, जूस, सिरका आदि बनाए जाते हैं।
  • यह प्राकृतिक क्लीनर और कीटाणुनाशक के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
  • सौंदर्य उत्पादों में भी इसका प्रयोग होता है जैसे फेस मास्क, स्किन टोनर आदि।

औषधीय गुण:

  • नींबू विटामिन C का बेहतरीन स्रोत है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
  • यह शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होता है।
  • पाचन तंत्र को सुधारता है और वजन घटाने में उपयोगी है।
  • नींबू पानी लिवर की सफाई करता है और त्वचा को निखारता है।
  • यह सर्दी-जुकाम, गले की खराश और कब्ज में लाभकारी है।

6. बेल (Bael)
वैज्ञानिक नाम: Aegle marmelos
मूल स्थान: भारत और दक्षिण एशिया
प्रकार: फलदार वृक्ष (धार्मिक एवं औषधीय वृक्ष)

विशेषताएं:
बेल का वृक्ष मध्यम आकार का होता है जिसकी पत्तियाँ त्रिपत्रीय होती हैं और धार्मिक दृष्टि से भी महत्व रखती हैं। बेल का फल कठोर छिलके वाला होता है और इसका गूदा सुगंधित, मीठा तथा गाढ़ा होता है। यह वृक्ष सूखा और गर्मी सहन करने में सक्षम होता है।

उपयोगिता:

  • बेल फल का शरबत गर्मी में बहुत लोकप्रिय है जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
  • इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में होता है।
  • बेल के पत्ते भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं।
  • इसके सूखे गूदे से बेल मुरब्बा, बेल कैंडी आदि तैयार की जाती है।

औषधीय गुण:

  • बेल दस्त और पेचिश में अत्यंत लाभकारी होता है।
  • इसका गूदा पेट की सूजन, अल्सर और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत देता है।
  • बेल की जड़, पत्ते और छाल भी आयुर्वेद में उपयोगी होते हैं।
  • यह रक्त को शुद्ध करता है और लिवर की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
  • गर्मियों में इसके सेवन से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी पूरी होती है।

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